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क्या ओटीटी प्लेटफार्मों पर अश्लीलता पर लगेगा अंकुश? सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब

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सुप्रीम कोर्ट का नोटिस: अश्लील कंटेंट पर रोक लगाने की मांग

नई दिल्ली, 28 अप्रैल। सुप्रीम कोर्ट ने ओटीटी और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर अश्लील सामग्री के प्रसारण पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार और संबंधित कंपनियों को नोटिस जारी किया है। जिन प्लेटफार्मों को नोटिस भेजा गया है, उनमें नेटफ्लिक्स, अमेजन, उल्लू डिजिटल, ऑल्ट बालाजी, ट्विटर, मेटा प्लेटफार्म और गूगल शामिल हैं।


पूर्व सूचना आयुक्त उदय माहूरकर सहित अन्य ने एक याचिका दायर की है, जिसमें कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि केंद्र सरकार को नेशनल कंटेंट कंट्रोल ऑथोरिटी का गठन करने का निर्देश दिया जाए, जो इन प्लेटफार्मों पर अश्लीलता को नियंत्रित करने के लिए दिशा-निर्देश तय करे।


इस याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा कि यह एक गंभीर मुद्दा है और केंद्र को इस पर कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह मामला कार्यपालिका या विधायिका के अधिकार क्षेत्र में आता है, फिर भी हम नोटिस जारी कर रहे हैं।


याचिका में यह भी कहा गया है कि कई सोशल मीडिया पेज और प्रोफाइल बिना किसी नियंत्रण के अश्लील सामग्री का प्रसारण कर रहे हैं। इसके अलावा, कई ओटीटी प्लेटफार्मों पर ऐसे कंटेंट भी हैं, जिनमें चाइल्ड पोर्नोग्राफी के तत्व पाए जाते हैं। याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि इससे विकृत यौन प्रवृत्तियों को बढ़ावा मिल रहा है, जिससे अपराध दर में वृद्धि हो रही है।


याचिका में आगे कहा गया है, 'इंटरनेट की सस्ती पहुंच के कारण सभी उम्र के उपयोगकर्ताओं तक अश्लील सामग्री पहुंचाना आसान हो गया है, जो सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है। यदि इस पर रोक नहीं लगाई गई, तो यह सामाजिक मूल्यों और लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। इसलिए, सरकार को अपने संवैधानिक कर्तव्यों का पालन करते हुए सामाजिक नैतिकता की रक्षा करनी चाहिए।'


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